गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

एगो रहलन राजा

बचपन के कई क़िस्से बड़े होने पर समझ में आते हैं। तो एक गीत जैसा क़िस्सा यहाँ पर अपनी पहली पोस्ट के रूप में -
(भोजपुरी) में है -

एगो रहलन राज
बोवलन खाजा।
तब जामल।
गइनी सन काटे।

मीर कटलन मीर बोझा
दादा कटलन तीन बोझा
आ हम दू तीन गो बतिया।

गइनी स बेचे ।

मीर बेचलन मीर बोझा
दादा बेचलन तीन बोझा
आ हम देखते रह गइनी

मीर के मिलल मीर पईसा
दादा के मिलल तीन पईसा
आ हमरा एगो अधेला

गइनी स खाए।

मीर खइलन मीर रोटी
दादा खइलन तीन रोटी
आ हम एगो टुकड़ा।


फेर गइनी स खेत में
तब ले खेतवाह आ गइल

मीर के मरलस मीर लाठी
दादा के मरलस तीन लाठी
आ हमरा के उठा के पटक देलस।

मीर लगलन रोए
दादा लगलन टोए
आ हम दाँत चियार देनी।


( जो लोग भोजपुरी नहीं समझ सकते वो लोग You Tube पर जा के ek rahen meer ek rahen beer टाइप करें। अमिताभ का एक अल्बम आया था अवधी भाषा में)

4 टिप्‍पणियां:

  1. अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो
    अस्सी नब्बे पूरे सौ ....
    किसी को याद हो तो ..मेरी फरमाईश है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हाँ, मैं भी कल याद कर रही थी इसको...:) मेरे ख़याल से ये अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग ढंग से गाया जाता है.

      हटाएं
  2. बढ़िया ... यह बहुत अच्छा है कि इस तरह एक संकलन तैयार हो जाएगा ...

    जवाब देंहटाएं

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